कभी कभी रातों को यूँहीं उल्लु ओं की तरह छत पर बैठे रहते थे ह म, तो वह मुझे फुसफुसा कर कहती. .
"वो चाँद लाकर दो न मुझे,
उससे तुम्हारा कमरा सजाउंगी,
जब तुमसे दूर चली जाऊं,
तो उसे देख लेना, तुम्हे हमेशा याद आउंगी"
और मैं उससे देख हँस पड़ता, तो वोह रूठ जाती थी...मैं छत के इस कोने में होता और वह दूसरे में जाकर बैठ जाती थी
"फिर अचानक मुस्कुरा पड़ती,
और मुस्कुरा कर कहीं गुम हो जा ती,
ना जाने आँखें बंद कर क्या सो चने लग जाती,
और सोच कर उस राज़ को किसी अँधे रे कोने में छोड़ जाती..."
और मैं,
"बस उससे यूँहीं पढ़ता रहता,
अपने मन की तिजोरियों को,
उसकी यादों से भरता रहता.."
शायद मुझसे कुछ जुड़ा था उसका, इसलिए हर रात किसी न किसी बहाने से छत पर मिलने आ जाती| फिर एक सर्दियों की रात वोह बोली..
"मुझे आइस-क्रीम खानी है,
हाँ हाँ पता है तबियत ख़राब हो गी मेरी,
पर फिर तुम अपनी गोद में मेरा स र रख कर मुझे सुलाना,
और सारी रात अपनी उँगलियों से म ेरे बाल सहलाते रह जाना..."
इससे पहले की मैं कुछ बोल पाता, वोह फिर चालु हो जाती...
"और हाँ, ख़बरदार जो उठ कर कहीं गए,
देखो बिना बतलाये मैं चली जाउं गी,
जी भर कर फिर रोते रहना,
कभी वापस न आऊँगी..."
फिर हम आइस-क्रीम खाने जाते थे, और वह ख़राब तबियत का बहाना कर मेरी गोद में सर रख सो जाया कर ती थी| और मैं..
"यूँहीं उसको ताकता रहता,
उन बंद आँखों के पीछे छिपे...
कुछ टूटे सपनों में झांकता रहता .."
रोज़ सुबह की चाय में तीन चम्मच चीनी मिला कर पीती थी, और जब भ ी मैं उससे Diabetes हो जाएगा कह कर डांटता तो मुझसे कहती...
"हो जाने दो, अच्छा ही है न
जब तक तुम डाक्टरी करके अपनी क् लिनिक नहीं खोलते,
मैं रोज़ ज्यादा चीनी खा जाया क रुँगी,
फिर हमेशा तुम्हारी क्लिनिक में ही,
अपना इलाज कराने आया करुँगी..."
तब बस एक महीना ही रह गया था उस के जाने में, न जाने कैसे दो सा ल बीत गए, रोज़ उसे वोह मीठी चा य पीते देख| और मैं...
"बस यही सोचता रह जाता,
की उस छत को क्या जवाब दूंगा,
जहाँ हम हम अपनी रातें बिताते थ े,
उन चाँद-तारों को क्या जवाब दूं गा,
जिनको अपनी फ़ालतू बातें सुनाते थे..."
देखते देखते एक दिन वोह चली गयी , कुछ दिन बाद उसकी शादी का का र्ड आया था मुझे| चाह कर भी जा न सका...
"उस रात आँखें छलक आयीं थीं,
और खिड़की खोली,
तो चांदनी लिए, सर्द हवाएं मुझे उसकी शायद कुछ गम हुई
यादें लौटाने आयीं थीं,
जो खिड़की से बाहर देखा,
तो चाँद अपनी चांदनी संग
मेरा कमरा सजा रहा था,
और पास वाली गली में,
एक आइस-क्रीम वाला रह रह कर चिल्ला रहा था..."